चार हाइकु …”प्रीत मियादी”
चार हाइकु …”प्रीत मियादी”
हुआ था आदि l
पर प्रीत मियादी l
हुई बर्बादी l
तू रखता है l
रखे सुंदरता है l
वो जागता है l
बस सोता है l
रोना ही रोता है l
खासा खोता है l
सब साथ है l
खुशियाँ सौगात है l
ये यथार्थ है l
अरविन्द व्यास “प्यास”