* चार शेर *
जीना चाहा था मगर
जिंदगी ना मिली ।
मौत भी अब हमसे
अपना दामन छुड़ा के चली ।।
लोग कहते हैं अब भी
मै जिन्दा हूँ मगर
जिंदगी को अलविदा कहे
जमाना गुजर गया ।।
मै कहता रहा जिंदगी से
मुझे रवानी दे दे ।
वरना मुझे मेरी
खोई हुई जवानी दे दे ।।
मेरी मजबूरियों को मेरी
कमजोरियां मत समझज़ालिम
कुछ तो समझ ये तो
मुझे जीने का होंसला देती है ।।
?मधुप बैरागी