चार दोहे
जलने वाले जल उठें, देख यहाँ मुस्कान।
जैसे भारत देख कर, जलता पाकिस्तान।।
निर्बल जान गरीब का, करो नहीं अपमान।
कालचक्र है तोड़ता, रावण का अभिमान।।
ना कोई राजा रहा, ना कोई अब रंक।
पुरी दुनिया भुगत रही, कोरोना का डंक।।
खुद को काबिल मान के, करो न ऐसा योग।
देखो चीनी पाप को, झेल रहे सब लोग।।
जटाशंकर “जटा”
१५-०५-२०२०