चार कंधों की जरूरत
जिन कंधों पर चढ़ाकर रामलीला दिखाते थे,
जिन कंधों पर चढ़ाकर सारा शहर घुमाते थे।
आज वही कंधे औलाद के कंधों को तरसते हैं,
मजबूरन औरों के कंधों पर चढ़ कर जाते है।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम
जिन कंधों पर चढ़ाकर रामलीला दिखाते थे,
जिन कंधों पर चढ़ाकर सारा शहर घुमाते थे।
आज वही कंधे औलाद के कंधों को तरसते हैं,
मजबूरन औरों के कंधों पर चढ़ कर जाते है।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम