चाणक्य की चोटी
घनाक्षरी छंद
सत्य बात को अगर नब्बेआदमी नकारें,
दस के दिमाग में जाके जरूर गड़ेगी।
दीप छोटा है भले वजूद उसका है कुछ,
अंधकार की पताका कब तक चढ़ेगी ।
भ्रष्टाचारियों की मनमानी नहीं रोकी गई ,
अभी क्या है देख लेना आगे और बढ़ेगी।
लगता है फिर नंद वंश के विनाश हेतु,
चाणक्य को चोटी अब खोलना ही पड़ेगी।
गुरु सक्सेना नरसिंहपुर (मध्य प्रदेश)