चाट चुके सभ्यताएं…
चाट चुके सभ्यताएँ….
चाट चुके सभ्यताएँ,
पी डाला संस्कारों का खून ।
आँखें खुली, भरम टूटा,
तब थमा जूनून ।।
और जब कुछ न बचा ,
पश्याताप करने के लिए ।
तो ओ ढूंढते हैं चुल्लू भर पानी ,
डूब मरने के लिए ।।
चाट चुके सभ्यताएँ….
चाट चुके सभ्यताएँ,
पी डाला संस्कारों का खून ।
आँखें खुली, भरम टूटा,
तब थमा जूनून ।।
और जब कुछ न बचा ,
पश्याताप करने के लिए ।
तो ओ ढूंढते हैं चुल्लू भर पानी ,
डूब मरने के लिए ।।