चाकू
12फिल्म – चाकू रील =12
जो एक क्राइम कहानी हैं। स्क्रिप्ट – रौशन राय का
मोबाइल नं -9515651283/7859042461
फिर चारों ने ज्योति के दोनों हाथ को दो दिशा में और दोनों पैर को भी दो दिशा में खींच कर बांध दिया और ज्योति को मकड़े जाल कि तरह लटका दिया वो चारों ने.. ज्योति को मार मार कर बुरा हाल कर दिया ज्योति के जिस्म से खूनऔर मुंह से लार दोनों साथ साथ निकल रहा था पर ज्योति का जुवान नहीं खुला
ऐसा कौन-सा राज है जिसे ज्योति छुपा रही है
लोग कहते हैं कि औरत का दिल बहुत कमजोर होता है लेकिन ज्योति को देखकर तो ऐसे लगता है कि औरत का दिल किसी बड़े चट्टान से भी अधिक मजबूत होता है
वो चारों लेडिज पुलिस ज्योति को मार मार कर थक चुकी थी और कुत्ते कि तरह हांफने लगी थी
ज्योति के हर अंग से खून बह रहा था और वो बेहोश हो गई थी
वो चारों ज्योति को होश में आने की भरपूर कोशिश कर रही थी
उधर जे के ने उस पीजा के होम डिलीवरी वाले लड़के कुर्शेद को पुरी तरह से अपने बस में कर लिया
वो लड़का पैसे के लिए जे के के कहने पर अब अपने बाप को भी मार सकता है तो सागर और सावित्री क्या चीज़ है
सागर और सावित्री ने उस एलर्ट यंत्र को घड़ी जैसा अपने हाथों पर बांध लिया
कमरे कि सारे लाइटें जलाकर ठीक से लाॉक कर एक ही कमरे में दोनों जने अलग अलग बेड पर सोने लगा
सागर और सावित्री दोनों पुर्ण रुप से सावधान हो गया है सोसायटी के सारे लोग सावित्री और सागर को मियां बीवी समझ रहा था पर वो दोनों मियां बीवी था ही नहीं.. इसलिए कभी खाना बनता और कभी नहीं बनता
सागर – सावित्री आज तुम अपने लिए खाना और मेरे लिए पीजा मंगवा लेना
सावित्री – क्यों आज तुम्हारा पाली है खाना बनाने का तो होटल से खाना और पीजा क्यों आएगा मेरे डुप्लीकेट पति देव
सागर – अरे यार ये औरतों का काम हम जैसे मर्दों का काम नहीं है हां तुम चाहो तो बना सकतीं हों मैं तुम्हारा हेल्प कर दुंगा
सावित्री – हट हेल्प करने आया है होटल से सी मंगवा लो
सागर – मंगवा लों
सावित्री – ठीक है हूंऽ
जे के – कुर्शेद आज तुम्हें दोनों में से एक को टपका देना है
कुर्शेद – सर मैं काम पीजा का छोड़ चुका हूं तो कैसे जाऊंगा
जे के – देखो काम तुम छोड़े हो ये बात तुम और मै जानता हूं दुनिया नहीं और आॅडर कौन करता है या नहीं करता है ये बात कोई नहीं जानता तुम्हारे पास पीजा वाला बैंग हैं और उस बैंग में पीजा हैं या चाकू इस बात को कौन जानेगा तुम पीजा वाले बैग में चाकू लेकर गेट पर गलत यहां वहां का इंट्री करके जाना
कुर्शेद – ठीक है सर
जे के ने जो अपने शैतानी दिमाग में प्लान सेट किया था
वो खुब बढ़िया से कुर्शेद को समझा दिया और कहा काम अभी नहीं रात में करना दोनों में से जो सामने आये उसे मार देना
कुर्शेद – ठीक है कहके जब जाने लगा तो जे के ने उन्हें एक और दस हजार कि गड्डी देकर उसके सोचने की बुद्धि को लाॅक कर दिया दस हजार रुपए कि चाभी से
कुर्शेद वहां से खुश होकर निकला और दुकान से पीजा लेकर सागर के यहां चल दिया .. जैसे ही कुर्शेद सागर के विल्डिंग के पास पहुंचा कि एलर्ट यंत्र का लाल बत्ती जल गई
लाल बत्ती जलते ही सागर और सावित्री चौंक गया और सावधान हो गया
कुर्शेद आया और डोर बेल बजाया…एलर्ट यंत्र सागर और सावित्री को बिजली कि तरह अर्थ देने लगा
सावित्री – पहले आवाज देकर पुछा कौन
बाहर से आवाज आया मैडम जी मैं पीजा लेकर आया हूं
सावित्री ने दरवाजे का आड़ लेकर दरवाजा खोली
कुर्शेद ने पिज्जा देकर वापस चला गया
कुर्शेद के जाने पर सागर और सावित्री पीजा खाते ये बातें करने लगा ये कैसा एलर्ट यंत्र हैं किसी के भी आने पर ये हमें अर्थ देने लगता है ये बात सागर ने अपने सिनियर को बताया और सिनियर एलर्ट यंत्र कम्पनी से बात किया
तो कम्पनी वाले ने कहा एलर्ट यंत्र सौ टका सही काम किया है वो पीजा वाला लड़का हर हाल में आप सब के लिए खतरा है और आपने उसे नजर अंदाज कर दिया उसे पकड़ने का मौका गंवा दिया हमारे कम्पनी का बना एलर्ट यंत्र कभी गलत नहीं हो सकता
हम अपने प्रोडक्ट को ऐसे नहीं बनाते हमारे कम्पनी में एक से बढ़कर एक वैज्ञानिक और डाक्टर हैं जो पहले आदमी के दिल दिमाग मन और सांसे को कम्प्यूटर में लोड कर फिर उसका उपयोग कैसे किया जाए इसका पहले हम सर्च किए हैं और जब हमें कामयाबी मिली तब हम ये एलर्ट यंत्र बनाएं और.. इसको पहने वाले का ब्लड ग्रुप का विशेष ध्यान रखा जाता है हमारा प्रोजेक्ट मेड इन इंडिया हैं जो कभी मीस नहीं होता.. मिस तो आप लोग कर गये उस लड़के को पकड़ने से
जो बात एलर्ट यंत्र के कम्पनी ने आॅफिसर को बताया वहीं बात आॅफिसर ने सागर और सावित्री को बताया तभी डोर वेल बजा लेकिन एलर्ट यंत्र ने कोई संकेत नहीं दिया क्योंकि उस आदमी के मन में सागर और सावित्री के प्रति कोई बुरा बात था ही नहीं
( दरवाजा खोला तो देखा सामने मालती खड़ी हैं )
सागर – मालती जी आप आइए अंदर आइए
मालती अंदर आई कुछ देर बैठी बात चीत करके चली गई
मालती के जाते ही सागर ने सावित्री से कहा
सागर – सावित्री तुम ने देखा कि मालती आई तो एलर्ट यंत्र कोई संकेत नहीं दिया
सावित्री – हां सागर यही बात मैं तुम्हें कहने वाली थी इसका मतलब यही हुआ की ये एलर्ट यंत्र एकदम ठीक है
सागर – सावित्री उस पीजा वाले के मन में हमारे प्रति कुछ न कुछ ग़लत तो जरूर है अब उस पीजा वाले को पकड़ना बहुत जरूरी हो गया
सावित्री – हां सागर ये बात अब सावित हो गया की एलर्ट यंत्र एकदम सही काम कर रहा है.. अच्छा सागर ऐसा करो कि उसी दुकान में एक और पीजा बुक कर दों जब वो पीजा लेकर आएगा हम उसे पकड़ लेंगे
सागर – गुड वेरी गुड मैं अभी तुरंत पीजा आॅडर करता हूं और फोन पर सागर ने पीजा बुक कर दिया
( जैसे ही दुसरा आॅडर गया की कुर्शेद ने जे के को फोन किया )
कुर्शेद – हलो सर सागर ने फिर से पीजा आॅडर किया हैं मैं पीजा लेकर जाऊ की नही
जे के – नहीं अभी तुम मत जाओ किसी और को भेज दों
कुर्शेद – ओके सर हम नहीं जाएंगे
सागर के दरवाजे का वेल बजा तो सावित्री हाथ मे रिवाल्वर लेके दरवाजा खोली इस बार भी एलर्ट यंत्र ने कुछ संकेत नही दिया
अब तो कुर्शेद को पकड़ने के लिए सागर सावित्री रोज पीजा मंगवाने लगा
लेकिन कुर्शेद पीजा लेकर नहीं आ रहा था और न वो एलर्ट यंत्र को संकेत दे रहा था
सागर – देखो सावित्री ये एलर्ट यंत्र तो कुछ भी नहीं बोल रहा है
सावित्री – हमें लगता है उस लड़के को हमारे चाल के बारे में पता चल गया
सागर – अभी ऐसा नहीं हो रहा है इसका मतलब अभी कोई नही आ रहा है हमें नुक्सान पहुंचाने तीन दिन बीत गया और कुर्शेद नहीं आया।
उधर शेखर घर से बाहर निकलना बंद कर दिया और खुद को एक कमरे में बंद कर लिया
और शेखर के मां बाप को समाज में बार बार अपमानित होना पड़ रहा था लोग तरह तरह के बातें कर इन शरीफ लोगों का जीना दुश्वार कर दिया था
ये सब देख प्रताप अंदर ही अंदर मरे जा रहा था कि हमारे वजह से हमारे सिधे साधे दोस्त का जीवन बर्बाद हों गया
प्रताप को कोई रास्ता नही मिल रहा था कि वो अपने दोस्त को इस मुसीबत से छुटकारा कैसे दिलाए प्रताप सोच रहा था कि न हम अपने बहन से शेखर का शादी करवाते और न ऐसा होता
प्रताप ने ताय किया कि हमारे वजह से हमारे दोस्त का जीवन खड़ाब हुआ तों अब इसे मैं ही ठीक भी करुंगा चाहे इसके लिए हमें अपनी जान क्यों न गवाना पड़े.. इसके लिए पहले हमें जेल जाकर ज्योति से कुछ बातें करना पड़ेगा और शेखर से मिलकर उसे समझाने की कोशिश की पर वो अपने कमरे का दरवाजा तक नहीं खोला.. और प्रताप को मायूस होकर जेल का रास्ता पकड़ना पड़ा और जेल पहुंच कर आॅफिसर ने निवेदन किया कि मुझे ज्योति से मिलकर कुछ बातें पुछना हैं
आॅफिसर – क्या करोगे तुम उससे मिलकर तुम उसे देख नहीं पाओगे
प्रताप – क्यों क्या हुआ मेरी बहन को
आॅफिसर – तुम्हारी बहन अभी थर्ड डिग्री रिमांड पर हैं उसे मारा जा रहा है बड़ी बुरी तरह और वो फिर भी कुछ नहीं बोल रही है।
प्रताप – मुझे हर हाल में ज्योति से कुछ बातें करना है जों हमारे लिए और कानून के लिए कुछ न कुछ सुलभ रास्ता जरुर निकालेगा और उस अपराधी को पकड़ने में मदद मिलेगी जो सिर्फ चाकू से ही हत्या जैसे अपराध करता है
आॅफिसर – ठीक है तुम जाकर अपने बहन ने मिलों
जब प्रताप अपने बहन ज्योति से मिलने अंदर गया तों देखा कि उसकी पतली दूवली बहन ज्योति का दोनों हाथ पैर मे रस्सी बांध खिंचकर चारों दिशा में बांधकर उसे मकड़ी के तरह लटका दिया हैं और एक साथ उन पर ये चारों लेडिज पुलिस एटेक कर रही है जो हर एटेक जानलेवा था
प्रताप ने उन चारों से निवेदन किया कि आप सब और न मेरी बहन को मारो नहीं तो ये मर जाएंगी ज्योति का हालत देखकर प्रताप बड़ी जोड़ जोड़ से रोने लगा और
वो चारों ने कहा कि मैं इन्हें नहीं मारती ये तो खुद ही मार खा रही है
तुम ही इनसे पुछो कि ये कौन सा राज छुपा रही है
प्रताप – हां मैं ही पुछता हुं इसके लिए मुझे कुछ देर के लिए समय चाहिए
वो चारों भी ज्योति को मार मार कर थक चुकी थी बोली ठीक है मैं तुम्हें समय देती हूं.. तुम मुझे अपने बहन से पुछ कर बताओं.. नहीं तो हम इनसे पुछ ही लेंगे चाहें इसके लिए हमें इनके साथ कुछ भी करना पड़े
प्रताप – ठीक है कहके अपना शर्ट उतार कर अपने बहन के नंगी बदन पर लपेट दिया जो सिर्फ पेंटी और ब्रा में थी और हाथ पैर का रस्सी खोल कर अपने बाहों में समेट लिया पहले तो वो फुट फुट कर बहुत रोया और बहुत समझाया कि ऐसा कौन-सा राज है जो तु मरने के लिए तैयार हैं पर वो राज बताना नहीं चाहती.. बोल मेरी बहन अब तु पुलिस के अंदर हैं तुझे कोई कुछ नहीं कर सकता इसलिए तु सारा बात पुलिस को बता दें
तु जानती है जिस शेखर को पाने के लिए तुमने क्या कुछ नहीं किया आज वही शेखर खाना पीना छोड़ कर अपने आप को एक कमरे में बंद कर लिया है.. क्या तु यही चाहती है कि तुम्हारा शेखर तुम्हारे वजह से तकलीफे सहे.. उधर अपनी मां बाबूजी भी बहुत परेशान हैं और तुम्हारे ब्यान से सारे उलझने खत्म हो जाएगी बोल मेरी बहन बोल
ज्योति बोली मैं मर जाऊंगी लेकिन अपने भाई के जान की दुश्मन नहीं बनूंगी
किसका दुश्मन हुं मैं और वो मुझे क्यों मारना चाहता है
ज्योति – सिर्फ मोबाइल कहके बेहोश हो गई
प्रताप ने उन चारों लेडिज पुलिस से निवेदन किया कि वो अब ज्योति को न मारें जब तक ज्योति के मोबाइल में छुपे राज बाहर नहीं आ जाता।
आप में से कोई एक क्राइम ब्रांच के आॅफिसर को फोन करें की वो हमें सिक्युरिटी दें मैं ज्योति का मोबाइल लेकर आना चाहता हूं क्योंकि अब सारा खेल मोबाइल ही खेलेगा
एक ने तुरंत आरोही राय को फोन किया और आरोही राय ने तुरंत प्रताप के सुरक्षा के लिए दो जीप पुलिस भेज दिया
प्रताप पुलिस सिक्युरिटी में ज्योति के ससुराल गया और शेखर से बात करना चाहा
लेकिन बात करना तो दूर शेखर अपने कमरे का दरवाजा तक नहीं खोला
तो प्रताप ने शेखर के मां से पुछा मां जी ज्योति का मोबाइल कहा है
मां – बेटा उसके सुहाग वाले कमरे में होगा जाकर देखो हम सब उसी दिन से एक बार भी उस कमरे में नही गये
प्रताप ने फिर पूछा कि उसके मोबाइल पर कोई फोन नहीं आया
मां – नहीं बेटा किसी का भी फोन नहीं आया
प्रताप – शेखर और ज्योति के सुहाग रात वाली कमरे में पहुंचा तों देखा कि सारे फुल मुरझाया हुआ है और वैसे ही दो तकिया लगा हुआ है जिसे देख कर प्रताप का आंख छलक आया.. आंसू को पोंछते हुए प्रताप ने ज्योति का फोन उठाया।
और जैसे ही प्रताप ने मोबाइल उठाया कि तुरंत काॅल आया प्रताप ने तुरंत रेकार्डीग स्टार्ट कर दिया और बोला हल्लो कौन तो उधर से काॅल आया कि तेरी बहन ने बहुत बड़ी गलती कर दिया अब न वो बचने वाली हैं और न तु और फोन कट गया
प्रताप हल्लो हल्लो करते रह गया