चांद
चांदनी रात है
चांद ऊपर नहीं ।।
ढूंढो ढूंढो सखी
होगा भीतर कहीं ।।
छुपके आया मगर
है ये सबको खबर
हो परदेशी भला
उसका पीहर यहीं ।।
चांदनी रात है
चांद ऊपर नहीं ।।
ढूंढो ढूंढो सखी
होगा भीतर कहीं ।।
छुपके आया मगर
है ये सबको खबर
हो परदेशी भला
उसका पीहर यहीं ।।