चांद
मनहरणघनाक्षरी
चांद
सोलह कलाएं लिए,
प्रभा संग नित जीए,
नील गगन पर छाए,
सोमाभा अपार है।
गगन पे नित डोले,
रोहिणी के संग होले ,
झूम -झूम तारो बीच ,
करता बिहार है।
कभी घटता ही जाए ,
कभी बढ़ता ही जाए,
आंख मिचौली खेले,
बादलों के पार है।
नित निशा में ही आता ,
किरणों के हार लाता,
सज -धज पालकी में ,
तारों की बारात है।
ललिता कश्यप गांव सायर जिला बिलासपुर (हिमाचल प्रदेश)
सोलह कलाएं लिए,
प्रभा संग नित जीए,
नील गगन पर छाए,
सोमाभा अपार है।
गगन पे नित डोले,
रोहिणी के संग होले ,
झूम -झूम तारो बीच ,
करता बिहार है।
कभी घटता ही जाए ,
कभी बढ़ता ही जाए,
आंख मिचौली खेले,
बादलों के पार है।
नित निशा में ही आता ,
किरणों के हार लाता,
सज -धज पालकी में ,
तारों की बारात है।
ललिता कश्यप गांव सायर जिला बिलासपुर (हिमाचल प्रदेश)