चांद पर भारत । शीर्ष शिखर पर वैज्ञानिक, गौरवान्वित हर सीना ।
चन्द्रयान 3*
आज हमारा भारत देश बहुत ही गर्वित महसूस कर रहा है। हम आज उस चन्द्रमा की सतह पर पहुंच गए जहां पहुंचने में हमें कई वर्ष लगे लेकिन इस प्रयास में न हम हार कर रूके, न थके। आज हम सिर्फ चन्द्रमा पर नहीं पहुंचे बल्कि हर उस दिल, मन तक पहुंचे हैं जहां लोग हार कर बैठ जाते कि अब बस मुझसे नहीं होगा। उनसे मैं बस यही कहना चाहूंगी कि हमारे इसरो के वैज्ञानिकों के लिए भी यह सफर आसान ना रहा आपके ऊपर जहां सिर्फ रिश्तेदारों, पड़ोसियों की नजर होती है वहां हमारे वैज्ञानिको के ऊपर सिर्फ भारत देश नहीं पूरे विश्व की उम्मीद थी।
यह सफर उस दिन शुरू हुआ जब भारत ने अपना पहला चन्द्रयान चन्द्रमा के पास 22 अक्टूबर 2008 को भेजा, वो शुभ दिन था, लेकिन चंद्रमा के चारों ओर 3400 से अधिक चक्कर लगाने के बाद भी 29 अगस्त 2009 को स्पेसक्राफ्ट से संपर्क टूटने के कारण वह मिशन वहीं समाप्त हो गया था। उस दिन हमारे वैज्ञानिको के साथ-साथ पूरा भारत रोया था। पर हम भारतवासी हैं हारना तो हमनें सीखा ही नहीं हमारे वैज्ञानिकों ने यह सिखाया कि हमारी मिट्टी हमें हारना नहीं सिखाती और फिर दूसरी कोशिश जारी हूई चन्द्रयान 2 के साथ 2019 में ISRO ने यह अभियान लॉन्च किया था। चंद्रयान-2 जब चंद्रमा की सतह पर उतरने ही वाला था कि लैंडर विक्रम से संपर्क टूट गया। इस तरह आखिरी वक्त में चंद्रयान-2 का 47 दिनों का सफर अधूरा रह गया। भारत का यह मून मिशन चंद्रमा की सतह से 2.1 किलोमीटर दूर रह गया था। पर इस बार भी हमारे वैज्ञानिकों ने अपने हौसलों और जज़्बे को छोड़ा नहीं, क्योंकि उनका तो एक ही लक्ष्य था चाँद तक पंहुचना, हम चन्द्रमा के बहुत करीब पहुंच कर हारे थे तकलीफ तो उस दिन भी हुई थी पर खुशी भी थी कि हम अब चन्द्रमा के बहुत करीब है और भारत ने उस दिन जिद्द पकड़ी कि चन्दा मामा हम अपने ननिहाल तो आकर रहेंगे। धरती माँ के बच्चों को मामा के घर जाने की ज़िद्द थी, और बच्चों का ज़िद्द तो ज़िद्द होती है, ठान लिया तो ठान लिया और हमारे वैज्ञानिक नई ऊर्जा और नई जोश और जुनून से लबरेज़ होकर चन्द्रयान तृतीय के तीसरे प्रयास के साथ कदम बढ़ाए तो बढ़ते गए और रुके नहीं । इस बार इसरो ने एड़ी से चोटी का दम लगा दिया, हमारे देश की एक खूबसूरती यह है कि यहां का बच्चा-बच्चा भी खुद को गौरवशाली महसूस करता है कि उसने उस धरती पर जन्म लिया जहां के लोगों के खून में सिर्फ जीत का आगाज है ।
अब बारी थी चन्दा मामा के धरती पर अपने भारत देश का झंडा लहराने कि और फिर बारी आई चन्द्रयान 3 की चंद्रयान-3 का लॉन्च सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (शार), श्रीहरिकोटा से 14 जुलाई, 2023 शुक्रवार को भारतीय समय अनुसार दोपहर 2:35 बजे हुआ था जिसमें चंद्रयान-2 के समान एक लैंडर और एक रोवर है, लेकिन इसमें ऑर्बिटर नहीं है। 40 दिन का सफर पूरा कर चंद्रयान-3 चंद्रमा पर पहुंचा, दुनिया ने उस दिन देखा भारत की ताकत को देखा और वो शुभ दिन शुभ समय 23 अगस्त 2023, शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चांद पर भारत का सूर्योदय इस चमकते हुए मिशन चंद्रयान की लैंडिंग के साथ हुआ है. इसरो के सेंटर से आम लोगों के बीच भी तालियों की गड़गड़ाहट गूंजने लगी. इन तालियों की गड़गड़ाहट से कुछ सेकेंड पहले तक देशभर के लोगों की सांसें थमी हुई थीं. लेकिन इस बार देश के वैज्ञानिक अपनी मेहनत पर पूरी तरह से आश्वस्त थे. और वो मेहनत रंग लाई, और यह सिर्फ एक तारीख या समय नहीं था यह हर भारतवासी का विश्वास था जिसे भारत के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जायेगा । भारत आज उस मुकाम पर हैं जहां पर पहुंचने के सपने ही लोगों ने देखे है ,
हमारे देश के वैज्ञानिकों ने वो कर दिया, जो दुनिया में अमेरिका, चीन जैसे तमाम बड़े बड़े देश कभी नहीं कर पाए. हमारे देश के वैज्ञानिकों ने वो कर दिया जो करते हुए पिछले हफ्ते रूस तक फेल हो गया. भारत का चंद्रयान जैसे ही चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर पहुंचा, ये इतिहास रचने वाला विश्व का पहला देश भारत बन गया। मैं अपने भारत देश के संचालक (ऑपरेटर) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) को आज इस लेख के माध्यम से दिल की हर गहराई से बधाई देती हूं । क्योंकि उनके कड़ी मेहनत की वजह से ही आज हमारा देश सबको पीछे कर आगे निकल पाया है उन्होंने ने रात को रात समझा ना दिन को दिन बस लगे रहे और उनकी मेहनत का परीक्षाफल पूरे विश्व के सामने है ।
आज चन्द्रयान 3 की सफलतापूर्वक लैन्डिग देखने के लिए पूरे विश्व के लोगों ने सोशल मीडिया यूट्यूब का रिकार्ड तोड़ दिया 8.1 मिलियन लोग पहली बार एक साथ यूट्यूब पर लाइव आये अब पड़ोसी देशों को यह एहसास हो गया होगा कि हमारा भारत देश की क्या पहचान है बात जब हमारे देश पर आये तो हम कभी अपने लिए नहीं लड़ते बल्कि पूरे देश के सम्मान के लिए लड़ते हैं और आज पूरे विश्व में भारत ने इतिहास रच दिया।