चांद तुम क्या हो!
चांद तुम क्या हो,
तारा मंडल की आभा हो,
या नन्हे मुन्हों के मामा हो,
नक्षत्रों का हिसाब हो,
या महबूब का ख्वाब हो,
चांद तुम क्या हो,जरा यह तो बताओ!
चांदी की खनक हो,
या चांदनी की चमक हो,
सुर मई रोशनी की झलक हो,
या शिव के भाल का तिलक हो,
चांद तुम क्या हो ,जरा हमको भी बतला दो!
दोस्तों की चाहत के चांद हो,
या गरीबों के गहनों का मान हो,
खिलाडियों कि मेहनत का सम्मान हो,
या माँ बाप के सपनों का अरमान हो,
चांद तुम क्या हो,जरा हमें भी तो जतलाओ!
किसानों की फसलों का मंदा हो,
या मजदूरों कि मजबूरी का फंदा हो,
नेताओं के धंधे का मौन हो,
या अमीरों की चका चौंध हो,
चांद तुम क्या हो,
आखिर कुछ भी तो बतलाओ!
चांद तुम क्या हो, यह हमें समझाओ!!