चांद चेहरा मुझे क़ुबूल नहीं – संदीप ठाकुर
चांद चेहरा मुझे क़ुबूल नहीं
अब समझने में कोई भूल नहीं
आंख बस आंख ही है झील नहीं
होंठ बस होंठ ही हैं फूल नहीं
संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
चांद चेहरा मुझे क़ुबूल नहीं
अब समझने में कोई भूल नहीं
आंख बस आंख ही है झील नहीं
होंठ बस होंठ ही हैं फूल नहीं
संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur