चांदनी….
करोड़ों दिलों को धड़काने वाली
तुम्हारे दिल ने किस लम्हे धड़कना बंद किया
सब अवाक् हैं सशंकित हैं
और तुम से शिकायत है
रिटेक पसंद नहीं था तुम्हे
तो इस बार भी तुम
एक ही शॉट मे सीन को ओके कर गयी
कुछ वक्त देती कुछ तबियत नासाज़ की खबरें आतीं
कुछ तुम सबकी धड़कन बढ़ाती
तुम्हे खोने का खौफ़ चेहरों पर आता
करोंडो हाथ दुआ मे उठते
कुछ छलक छलक पलकें धुल जाती
कुछ रोज तुम्हारी खबरें आतीं…
लाइट कैमरा एक्शन कुछ और पल ठहरता
तुम्हारे इर्द गिर्द
कुछ और लम्हे पर्दे पर तुमको उतारते
मगर क्यूं ?आखिर क्यूं ?
इतने चुपके से दबे पांव रुख्सत हो गई
तुम सबको अवाक् कर
खामोशियों से संवाद कर
तुम गुम गईं…..तुम गुम गईं…..
तुम न आओगी फिर भी
देश तुम्हारे आने की राह तक रहा है
विमान तुम्हारे लिये तीन दिन से
इंतजार कर रहा है
पर वो विमान तो खुबसूरत रहा होगा
सफेद रंग का ….तुम्हे सफेद बादलों के पार जो
उड़ाकर ले गया
कौन था वो फरिस्ता ? तुमको जहां से
चुराकर ले गया
“खुदा गवाह” है तुम” रूप की रानी” हो
तुम हर “लम्हे” में जिंदा हो
हर रात “चांदनी” बिखरेगी
तुम गई नहीं तुम आयी हो
हर दिल धड़कन पर छाई हो
तो क्या ?तुम अब तन नहीं रहीं
तुम सिने जगत की परछाईं हो….
तुम गईं नहीं तुम आयी हो……
श्रद्धांजलि……
प्रियंका मिश्रा_प्रिया
24/02/18