चाँद सा मुखड़ा हसीं देखा नही
चाँद सा मुखड़ा हसीं देखा नहीं
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****2122 2122 212****
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चाँद सा मुखड़ा हसीं देखा नहीं,
आज से पहले मिला मौका नहीं।
रात – दिन सपने तिरे आते रहे,
आप हो सुंदर परी धोखा नहीं।
जोड़ दोनों हाथ हम हैं मांगते,
हाथ पर मेरे मिली रेखा नहीं।
देखकर जानम वहीं सांसें रुकी,
आँखभर देखा कभी रोका नहीं।
जान मनसीरत सदा है वारता,
राह पर जाना मगर छोड़ा नहीं।
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सुखविंदर सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)