चाँद के ओठ पे मुहब्बत का इतिहास
चाँद के ओठ पे मुहब्बत का इतिहास
हर हुस्न के आतिश को लगा दिया आतिश।
आज चाँद चूमें चलो चाँदनी के पास चलें।
इस चाँद के माथे पे लिखें सारे गुनाह के कर्म।
अब हर मुस्कुराहट में आओ अट्टहास करें।
अपनी म्ुाहब्बत बने पाक व परवान चढ़े
ऐसा करते रहें और ऐसा ही हर साँस करें।
इस रात के आगोश में सिहरें व सिमट जायें हम
आओ इस चाँद और चाँदनी का विश्वास करें।
इतना शीतल व सुखद चाँदनी का हर कतरा
चाँद के ओठ पर अपना तथा इतिहास लिखें।
पिघला के जिस्म हम अपना हर समुन्दर को दें
आओ इस शीत की उष्णता का अहसास करें।
खामोश रहें हम मुहब्बत हमारा होवे मुखर
बाँट आयें तथा हर कयामत तलक सहवास करें।