चाँद की राखी
चाँद की राखी
-ओम प्रकाश नौटियाल
माँ धरा की राखी ले,
करके लम्बी सैर,
मामा के सहन उतरा ,
धीमे से धर पैर,
धीमे से धर पैर ,
भाँजा चाँद पर उतरा,
चकित हो गया देख,
घर ऐसा साफ सुथरा,
विक्रम होकर प्रसन्न ,
सोचे मैं आया कहाँ,
नभ को रही निहार ,
उधर चिंतातुर सी माँ !!
-ओम प्रकाश नौटियाल