च़ंद अंदाज़े ब़याँ
तेरे प़ैकर से लिखे हुए ख़तों को जब खोल कर देखता हूं तो तेरे मोहब्ब़त की खुश़बू ज़ेहन पर ताऱी हो जाती है।
हम तो समझे थे ऱाहे उल्फ़त फ़ूलों भरी बहार है।
जब ख़्यालों और ख्व़ाबों की घटा छटी।
तब इल्म़ हुआ के हक़ीकत में ये ख़ारों से भरा
ख़िज़ाओं का संसार है।
वे दूसरों को बेवफ़ाई का इल्ज़ाम देते हैं।
शायद उन्हें अपने बावफ़ा होने पर श़क है।
इंसानी फ़ितरत इस कदर है के वफ़ाओं को अक्सर
भूलकर सिर्फ़ जफ़ाओं को याद रखती है।
ग़र संग -ए -दिल हो सऩम तेरी मोहब्ब़त में वो
तास़ीर हो जो उसे मोम़ सा बना पिघ़ला कर रख दे।