चलो
चलो
बिखरने देते हैं
जिन्दगी को
जो बिखरती जा रही है
रेत की तरह
सम्हालना चाहें भी
तो सम्हाले कैसे
हिमांशु Kulshrestha
चलो
बिखरने देते हैं
जिन्दगी को
जो बिखरती जा रही है
रेत की तरह
सम्हालना चाहें भी
तो सम्हाले कैसे
हिमांशु Kulshrestha