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9 Jun 2024 · 1 min read

चलो

चलो
बिखरने देते हैं
जिन्दगी को
जो बिखरती जा रही है
रेत की तरह
सम्हालना चाहें भी
तो सम्हाले कैसे

हिमांशु Kulshrestha

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