चलो निरन्तर लक्ष्य पे अपने
अब तक फूलों पे चलते आये,अब काँटों पर चलाना हैं,
अडिग हिमालय खड़ा हुआ, दृढ़ता का पाठ पढ़ता हैं,
चलो निरन्तर लक्ष्य पे अपने,सिंधु जल के संग चलो,
अपने लक्ष्य पे अटल रहो,सबकी बाधा मिटाते चलो,
अपनी रक्षा आप करे जो, देते उसका साथ विधाता,
दुसरो पर जो आश्रित हैं,पग पग पे ठोकर खाता ,
जीवन का सिद्धांत अमर हैं, उसपर हमको चलना हैं,
अपने मन की चंचलता से,मेघो पे गर्जन करना हैं,
सागर सा गम्भीर बने, सहनशक्ति धरती सा हो,
रात के अंधेरो को मिटा सके,सूर्य के जैसा जीवन हो,
अन्धकार हो जीवन में, आलोकित उसको हम कर दे,
दुःखियों के दुःख मिटा सके, जीवन सुखों से भर दे,