*चलो देखने को चलते हैं, नेताओं की होली (हास्य गीत)*
चलो देखने को चलते हैं, नेताओं की होली (हास्य गीत)
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चलो देखने को चलते हैं, नेताओं की होली
1
एक जगह पर कई-कई नेता मुख दिखे फुलाए
जब पूछा तो पता चला यह टिकट नहीं ले पाए
बुरी तरह नाराज चल रही इनकी पूरी टोली
2
कुछ नेतागण कीचड़ का जमकर थे ढेर लगाए
कहने लगे सदा से हम तो यही खेलते आए
हमने पाया कीचड़ से ही थी उनकी रंगोली
3
एक दिखा नेता गुलाल बस एक ग्राम था लाया
मिली-जुली सरकारों में यह था सत्ता में आया
सोच रहा है दॉंव लगा तो भर जाएगी झोली
4
नेताओं के पास दिखी, पानी वाली पिचकारी
भरे हुए आश्वासन इसमें, भरी हुई मक्कारी
सपनों के विक्रय की, लगता था दुकान यह खोली
5
कई तरह के दिखे मुखौटे नेता लोग लगाए
नेताओं के असली चेहरे हम पहचान न पाए
पॉंच वर्ष तक यह जनता से करते रहे ठिठोली
6
सीधा-साधा एक आमजन राजनीति में पाया
उसने चमचा नहीं किसी का, खुद को कभी बनाया
टेसू के रंगों-सी उसकी, खुशबू वाली बोली
चलो देखने को चलते हैं, नेताओं की होली
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451