चलो जलाएँ दीप
रखें फासला बीच का,.जाएँ नही समीप ।
तमस दिलों का दूर हो,चलों जलाएँ दीप ।।
अँधियारा भागे सदा , घटता दिखे विकार !
तब जा कर होगा कहीं,.ज्योतिर्मय संसार !!
ज्योतिर्मय संसार , तभी होगा जन जन का !
जीवन का आधार , प्रेम बन जाये मन का !!
नव आशा विश्वास . लिए आये उजियारा !
चलो जलाएँ दीप , भगाएं हम अँधियारा !!
रमेश शर्मा