चलो चलें बौद्ध धम्म में।
बौद्ध धम्म है सबसे न्यारा,
मिलता प्रेम और करुणा सारा,
सत्य अहिंसा भी है प्यारा,
खोज किया जिस बुद्ध ने इसको,
चलो चलें बौद्ध धम्म में।
मानव मानव के जीवन में,
करें उजियारा बुद्ध ज्ञान से,
दीन दुःखी को दुःख से उबारा,
भूले भटके को मार्ग दिखाया,
चलो चलें बौद्ध धम्म में।
पाँच मित्र जो मिले थे तप में,
रूठ गये थे बुद्ध से मध्य में,
छोड़ बुद्ध को बीच राह में,
पथ भ्रष्ट कह के त्याग दिए थे,
चलो चलें बौद्ध धम्म में।
ज्ञान मिला जब बुद्ध को जग में,
ध्यान किया उन मित्रों को पहले,
देने पहुंँचे ज्ञान प्रथम ,
सारनाथ बना प्रथम उपदेश स्थल,
चलो चलें बौद्ध धम्म में।
पंच भिक्खु संग बन गया संघ।
बुद्धम शरणम् गच्छामि,
धम्मं शरणम् गच्छामि,
संघं शरणम् गच्छामि,
चलो चलें बौद्ध धम्म में।
रचनाकार-
बुद्ध प्रकाश,
मौदहा हमीरपुर।