चलो चलें कश्मीर घूमने
-लावणी छंद सृजन
चलो चलें कश्मीर घूमने, शिमला नैनीताल नहीं।
इस धरती का स्वर्गं यहीँ है, इसकी कहीं मिसाल नहीं।
शांत सुखद बर्फीली घाटी,लगे देव की मूरत है।
जहाँ फिजा में प्रेम घुला है, जुबाँ अति खूबसूरत है।
ये फूलों से भरी वादियाँ, खुश्बू से भरी हवायें,
देव उतर आये जमीन पर,शीश झुकाती कुदरत है।
हटी तीन सौ सत्तर धारा, पहले जैसा हाल नहीं।
चलो चलें कश्मीर घूमने, शिमला नैनीताल नहीं।
झीलों के सीनों से लिपटे, छोटे-बड़े शिकारे हैं।
झरनों पर झिलमिल-से करते,वृक्ष चिनार किनारे हैं।
अति अनुपम है छटा निराली, अद्भुत चित्र बिखेरे हैं,
यकी नहीं होता है दिल को, इतने हसीं नजारे हैं।
चारों तरफ खुशी का मंजर, मन में रहा मलाल नहीं।
चलो चलें कश्मीर घूमने, शिमला नैनीताल नहीं।
कुदरत के इन हाथों में तो,अद्भुत हुनर खजाना है।
चेरी ,सेब भरे हैं उपवन, मौसम बड़ा सुहाना है।
भारत माँ का मुकुट बना है,लगता सपनो से प्यारा,
ये तो सबके दिल में बसता,हर रंग सूफियाना है।
टिकट कटाओ अब जल्दी से, करना टालमटाल नहीं।
चलो चलें कश्मीर घूमने, शिमला नैनीताल नहीं।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली