चलो खुशियों के दीपक जलायें।
चलो खुशियों के दीपक जलायें।
दीप का पर्व हिलमिल मनायें
चलो खुशियों के दीपक जलायें।
रामजी जीत लंका को आये
देव प्रमुदित हुये मुस्कराये,
आज स्वागत में हर्षित दिशायें
प्रेम की धुन मधुर गुनगुनायें
चलो खुशियों के दीपक जलायें।
छंट गया है तमस, रामजी का सुयश,
तीनों लोकों में रघुवीर छाये
जग को पावन करें, कष्ट सबके हरें,
ताप तीनों से हमको बचायें।
दीप का पर्व हिलमिल मनायें,
चलो खुशियों के दीपक जलायें।।
अनुराग दीक्षित