चलो एक दीप मानवता का।
चलो एक दीप मानवता का आज स्वयं के अंदर प्रज्वलित करते है।
यूं खुद के असुर को मार कर पुनः स्वयं को फिर से निर्मित करते हैं।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
चलो एक दीप मानवता का आज स्वयं के अंदर प्रज्वलित करते है।
यूं खुद के असुर को मार कर पुनः स्वयं को फिर से निर्मित करते हैं।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️