‘चले आना मुरारी तुम’
चले आना मुरारी तुम
घिरे जब नेह के बादल,
उफनती यमुना हो कलकल,
चले आना मुरारी तुम,
हे! प्रियवर वेणुधारी तुम ।
बिठाकर पलकों के कुंजन
रचाना रास तुम मधुवन ,
कुञ्चित अलकावलियाँ श्याम,
शोभित मोरमुकुट अभिराम,
अधर पर वेणु मुखरित स्वर,
संग प्रिया राधिका मुखर,
चले आना मुरारी तुम ,
हे प्रियवर! वेणुधारी तुम।
तिलक चंदन सुरभित भाल,
गले मैं वैजयन्ती का माल,
अंग सोहे पीताम्बर दुकूल
सांध्य शीतल यमुना कूल,
बुलाती धेनु कातर स्वर,
उदास है गोप और तरुवर,
चले आना मुरारी तुम,
हे प्रियवर! वेणुधारी तुम।
गलियन बेसुध ढूँढे मात,
विचलित हो रहे अब तात,
मर्दन कंस का करके
कालिय नाग को नथ के,
धरा को निर्भया करके ,
पूतना का करके उद्धार,
चले आना मुरारी तुम,
हे प्रियवर! वेणुधारी तुम।
उमड़ते नैन,भीगा आँचल,
मु़र्च्छित गोपियाँ विह्वल,
हाथ में लेके कोमल हाथ,
गले सबको लगाना नाथ,
प्रीत की रीत निभाना तुम,
मिलन के गीत गाना तुम,
चले आना मुरारी तुम,
हे प्रियवर ! वेणुधारी तुम,,,,,।।
#किरण_मिश्रा_स्वयंसिद्धा
नोयडा
2/9/2021