चले आओ
मैं पुकारूं बारम बार:::::2,
चले आओ यशोदा के लाल।
मैं दुखियारी, विपदा की मारी,
कैसे करू मैं भगति तिहारी,
माखन आता है, लाखों के भाव।
चले आओ यशोदा के लाल।
सत्य की यहां कोई जगह नहीं है,
झूठ की यहां कोई सीमा नहीं है।
पाप की यह तेरी नगरी बनी है,
इसे कैसे करू मैं पार।
चले आओ यशोदा के लाल।
जिस गायियां को तू माता कहे था,
हिंदू धर्म जिसकी पूजा करें।
आज फिरती वह सड़कों पर होके बेहाल।
चले आओ यशोदा के लाल।
राधा के प्रेम को तूने पवित्र है माना,
कान्हा था उसका ही दीवाना ।
आज वो प्रेम बिकता है सरे बाजार ,
चले आओ यशोदा के लाल।
मैं पुकारू बारम बार ,
चले आओ यशोदा के लाल।