चलाचली
यह भी व्यतीत हो जाएंगे ज्यों वे स्वर्णिम क्षण बीत गए
सतचिन्मय दिव्य अनुदान मिले अमृतमय सब वरदान मिले
परिपूरित शुभ आशीषों से ज्योतिर्मय निशा-विहान मिले
कैसे मानूँ घनघोर तिमिर मे ज्योतिकलश वे रीत गए
यह भी व्यतीत हो जाएंगे ज्यों वे स्वर्णिम क्षण बीत गए
इतना कोलाहल है जग मे मनवा कितना एकाकी है
अब चलाचली की वेला मे कहना सुनना क्या बाकी है
जो हम तुमसे कह न पाये वह कहकर मेरे गीत गए
यह भी व्यतीत हो जाएंगे ज्यों वे स्वर्णिम क्षण बीत गए