चलना हमें होगा
गीत… (हरिगीतिका छंद)
चलना हमें होगा कहीं ये, पाँव रुक जाये नहीं।
ये टीस ना मन में रहे हम, ध्येय को पाये नहीं।।
जो मानते हैं कर्म को वह, हो नहीं सकते अनी।
कहते रहे यह बात कब से,ज्ञान के जो हैं धनी।।
सुनते रहे हैं सत्य यह पर, आचरण लाये नहीं।
ये टीस ना मन में रहे हम, ध्येय को पाये नहीं।।
यद्यपि जले तन धूप से पर, साधना करते रहो।
है जीतना हर द्वंद्व को यह, भावना मन में भरो।।
रहना सजग दुर्भावना मन, एक भी आये नहीं।
ये टीस ना मन में रहे हम, ध्येय को पाये नहीं।।
बदलाव ही बदलाव जब है, हो रहा संसार में।
हर आदमी ही है खड़ा इस, कीमती बाजार में।।
अच्छा यही होगा कभी भी, क्षुद्रता भाये नहीं।
ये टीस ना मन में रहे हम, ध्येय को पाये नहीं।।
उन्मुख रहे उत्कर्ष के पथ, दूर हो बंधन सभी।
संकट भले दे वेदना पर, हों नहीं शंसित कभी।।
दे रोशनी सूरज हमें नित, घन निशा छाये नहीं।
ये टीस ना मन में रहे हम, ध्येय को पाये नहीं।।
चलना हमें होगा कहीं ये, पाँव रुक जाये नहीं।
ये टीस ना मन में रहे हम, ध्येय को पाये नहीं।।
डाॅ. राजेन्द्र सिंह ‘राही’
(बस्ती उ. प्र.)