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10 Sep 2024 · 1 min read

चलते हैं क्या – कुछ सोचकर…

चलते हैं क्या – कुछ सोचकर…
रुक जाते हैं कुछ और में उलझकर!
क्यों होता है ऐसा मेरे साथ अक्सर…
भूल जब नहीं करते कोई जानबूझकर!

…. अजित कर्ण ✍️

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