चलते रहने वालों की है, पहचान इस दुनिया में
चलते रहने वालों की है, पहचान इस दुनिया में
चलते रहने वालों की है, पहचान इस दुनिया में,
ठहर जाने वालों की नहीं, कोई बात इस फिज़ा में।
आँधियाँ भी करती हैं सलाम, उस हौसले के नाम,
जो कभी थकता नहीं, है हरदम उड़ान इस जहां में।
आरती भी होती है, नदियों के किनारे ही सदा,
तालाबों में कोई राग नहीं, वो भी बेबस इस फिज़ा में।
ज़िंदगी का ये फलसफा, समझा दिया उसने हमें,
मुकाम वही है खास, जो मिले सफर की राह में।
ठहरने का नहीं ये वक्त, ना कोई मंजिल है पास,
हर कदम एक नया सपना, छिपा है इस जहां में।
चलते रहने वालों की है, पहचान इस दुनिया में,
ठहर जाने वालों की नहीं, कोई बात इस फिज़ा में।