चलते चलते
ऐ जिंदगी!
मुझे जी लेने दे
थोड़ा ठहर जा
बहुत थक गई हूं चलते-चलते,
अनवरत चलते-चलते।
ना मंजिल का पता, ना रास्ते का ठिकाना
बस चलना है और चलते जाना है
क्या इसी का नाम जिंदगी है?
मैंने तो ऐसा नहीं चाहा था
ना ही कभी तुझसे कुछ मांगा था
फिर क्यों इतने सारे मुश्किल
मेरी झोली में डाल दी
और कहते हो चलते चलो ।
थोड़ा ठहर जा, सांस लेने दे
बहुत थक गई हूं,
ऐ जिंदगी!
चलते-चलते
अनबरत चलते-चलते।