चलती फिरती किताब हुँ मै ##
चलती फिरती किताब हुँ मैं …..!!
हर शब्द हर बिंदु मेरे जज्बात की गवाही देते हैं ….!!
हर पन्नो में सिर्फ जज्बात लिखती हूँ मैं…..!!
किताबों से खुश्बु नहीं आती ……!!
लफ्ज खुबसुरत लिखती हूँ मैं ……!!
पढ़ने वाले दिल से पढ़े तो मोहब्बत हर शब्द से हो जाती हैं …!!
लिखने का ऐसा अंदाज रखती हूँ मैं ……!!
स्याही नहीं हैं कलम में हौसल से लिखती हूँ मैं …..!!
कभी – कभी अश्कों से भी रंग भरती हुँ मैं ……!!
दिल से लिखी बातें दिल तक पहुँचाती हुँ मैं …..!!
तीर तलवार नहीं शब्दो की बाण चलाती हूं मैं ….!!
एक – एक शब्द दिल तक पहुँचाती हुँ मैं !!
मोहब्बत के धागे में जज्बात की मोती पिरोती हुँ मैं …!!
कभी गर गिर जाते हैं अश्क पन्नो पर ……!!
पलकों को सजा देती हूँ मैं …..!!!
इजाजत नहीं अश्कों को देती हूँ मैं ……!!
हर किसी के लिए बहने नही देती हूँ मैं …..!!
कहानियां नहीं हकिकत लिखती हुँ मैं …….!!!
बुलंदी की ख्वाहिश नहीं अरमानो की गुलाम नही हुँ मैं …!!
हौसलों की पंख से उड़ती हुँ मैं ……!!
जिंदगी से बेपनाह मोहब्बत करती हूँ मैं ……!!
रश्क करते हैं हमे देख कर उड़ान पर जब होती हुँ मै ….!!
चलती फिरती किताब हुँ मै ……!!
लेखिका
मीना सिंह राठौर
नोएडा उत्तर प्रदेश ✍🏻