चरित्र राम है
हो चित्र राम का मंदिर में, हो राम चरित्र अंदर में।
बांध बनाने से रोक सके, है हस्ती नहीं समंदर में।।
पत्थर तैरेंगे पानी में, है राम चरित्र अगर मन में।
जीवन आनंदित ही होगा, घर में रहो या वन में।।
अंगद जैसा पांव जमा दो, चाहे दानव की सभा ही हो।
कहां उठेगा पांव किसी से, रामचरित सा प्रभा जो हो।।
राम चरित्र के कारण ही, बानर भालू सब एक हुए।
यह प्रभाव राम का था, विभीषण सुग्रीव जो मित्र हुए।।
योद्धा, पंडित, ज्ञानी रावण, बस राम चरित्र से हार गया।
त्रेता के महायुद्ध में, रामसेना ने, राक्षसवंश को मार गया।।