चराग बुझ जाए।
आज फिर याद में जो तुम आए।
मेरे आंखों में फिर लहू छाए।
दर्द कितना है सोचिए इतना
लाश जिंदा हो तो किधर जाए ।
मुझको अंधेरों से मुहब्बत है
तू दुआ कर चराग बुझ जाए।
दीपक झा रुद्रा ❤️
आज फिर याद में जो तुम आए।
मेरे आंखों में फिर लहू छाए।
दर्द कितना है सोचिए इतना
लाश जिंदा हो तो किधर जाए ।
मुझको अंधेरों से मुहब्बत है
तू दुआ कर चराग बुझ जाए।
दीपक झा रुद्रा ❤️