चरम प्रेम!
सौंदर्य शशि हो
भूषण कनक का
मोती रंग स्वभाव का
हरियाली नव-पल्लव सी
नजरिया बगुला हृदय हंस सा
सीता रुप, मर्यादा राम की
श्याम सी लीला, राधा सा मन
अयोध्या सा उत्साह
क्रिडा वृंदावन धाम की
चरागों की रोशनी
शरद दिनकर प्रकाश हो
और सबमें
चरमोत्कर्ष प्रेम।
गौरव उनियाल ‘नादान’