Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Jan 2021 · 1 min read

” चमकते चेहरे ”

चमकते चेहरे को देख ,
हमारे पास दौड़े आए वो !
टूटे-दिल को देख ,
उलटे पाँव भाग गए वो !
हम तो आज भी इस सोच में बैठे है ,
मरहम लेने गए है या कभी लौट के नहीं आयेंगे वो ?

– ज्योति

Language: Hindi
Tag: शेर
2 Likes · 312 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from ज्योति
View all
You may also like:
"एकान्त"
Dr. Kishan tandon kranti
*अपनी धरती छह ऋतुओं की, इसकी हर छटा निराली है (राधेश्यामी छं
*अपनी धरती छह ऋतुओं की, इसकी हर छटा निराली है (राधेश्यामी छं
Ravi Prakash
मानस हंस छंद
मानस हंस छंद
Subhash Singhai
दर्द ऐसा था जो लिखा न जा सका
दर्द ऐसा था जो लिखा न जा सका
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
सांवरिया
सांवरिया
Dr.Pratibha Prakash
मन के द्वीप
मन के द्वीप
Dr.Archannaa Mishraa
तूने ही मुझको जीने का आयाम दिया है
तूने ही मुझको जीने का आयाम दिया है
हरवंश हृदय
आपकी याद जब नहीं है तो क्यूं,
आपकी याद जब नहीं है तो क्यूं,
Dr fauzia Naseem shad
जमाना इस कदर खफा  है हमसे,
जमाना इस कदर खफा है हमसे,
Yogendra Chaturwedi
लेशमात्र भी शर्म का,
लेशमात्र भी शर्म का,
sushil sarna
राज्याभिषेक
राज्याभिषेक
Paras Nath Jha
बची रहे संवेदना...
बची रहे संवेदना...
डॉ.सीमा अग्रवाल
हम पर कष्ट भारी आ गए
हम पर कष्ट भारी आ गए
Shivkumar Bilagrami
कोशिश मेरी बेकार नहीं जायेगी कभी
कोशिश मेरी बेकार नहीं जायेगी कभी
gurudeenverma198
बेफिक्र तेरे पहलू पे उतर आया हूं मैं, अब तेरी मर्जी....
बेफिक्र तेरे पहलू पे उतर आया हूं मैं, अब तेरी मर्जी....
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
नशा
नशा
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
मोबाइल
मोबाइल
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
4570.*पूर्णिका*
4570.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हिंदी दलित साहित्य में बिहार- झारखंड के कथाकारों की भूमिका// आनंद प्रवीण
हिंदी दलित साहित्य में बिहार- झारखंड के कथाकारों की भूमिका// आनंद प्रवीण
आनंद प्रवीण
इंडिया ने परचम लहराया दुनियां में बेकार गया।
इंडिया ने परचम लहराया दुनियां में बेकार गया।
सत्य कुमार प्रेमी
Biography of Manish Mishra World Record Holder Journalist
Biography of Manish Mishra World Record Holder Journalist
World News
सबसे आसान है बहाने बनाकर खुद को समझाना। अपनी गलतियों पर खुद
सबसे आसान है बहाने बनाकर खुद को समझाना। अपनी गलतियों पर खुद
पूर्वार्थ
आदमी क्यों  खाने लगा हराम का
आदमी क्यों खाने लगा हराम का
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
गैरों से कोई नाराजगी नहीं
गैरों से कोई नाराजगी नहीं
Harminder Kaur
सारा दिन गुजर जाता है खुद को समेटने में,
सारा दिन गुजर जाता है खुद को समेटने में,
शेखर सिंह
*पानी केरा बुदबुदा*
*पानी केरा बुदबुदा*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
पूर्ण शरद का चंद्रमा,  देख रहे सब लोग
पूर्ण शरद का चंद्रमा, देख रहे सब लोग
Dr Archana Gupta
मरने की ठान कर मारने के लिए आने वालों को निपटा देना पर्याप्त
मरने की ठान कर मारने के लिए आने वालों को निपटा देना पर्याप्त
*प्रणय*
कुंडलिया छंद
कुंडलिया छंद
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
Swami Vivekanand
Swami Vivekanand
Poonam Sharma
Loading...