चन्द उद् गार
इंसानिय़त के माय़ने मुझे अब समझ आने लगे हैं। जब जब मुझे अपनों ने गिराया तब तब गैरों नें बढ़कर मुझे थाम लिया।
अपनी ज़िंदगी खुश़हाल बनाने का फ़न तो हर किसी को आता है। पर उनमें कुछ विरले ही होते हैं जिन्हें दूसरों की ज़िंदगी खुश़हाल बनाने का फ़न हास़िल होता है।
न ग़़म जज़्ब़ करो न श़िकवे करो जिंदगी के हर पल से जंग करो। रहते दम़ जीत का जज़्बा बुलंद रखो।
ज़िंदगी के सफ़र में नाक़ामी की ठोकर एक नए मोड़ का आग़ाज़ है। हार कर ना बैठो आगे कामय़ाबी इंतज़ार कर रही है।