चढ़ा हूँ मैं गुमनाम, उन सीढ़ियों तक
चढ़ा हूँ मैं गुमनाम, उन सीढ़ियों तक
मिरा ज़िक्र होगा, कई पीढ़ियों तक
ज़मा शा’इरी, उम्रभर की है पूँजी
ये दौलत ही रह जायेगी पीढ़ियों तक
–महावीर उत्तरांचली
चढ़ा हूँ मैं गुमनाम, उन सीढ़ियों तक
मिरा ज़िक्र होगा, कई पीढ़ियों तक
ज़मा शा’इरी, उम्रभर की है पूँजी
ये दौलत ही रह जायेगी पीढ़ियों तक
–महावीर उत्तरांचली