चढ़ा नहीं दिल की कभी,जो मेरी दहलीज ।। कहता कैसे मैं उन्हें , .अपना यार अजीज़ । चढ़ा नहीं दिल की कभी,जो मेरी दहलीज ।। रमेश शर्मा