Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Mar 2022 · 1 min read

चंद सिक्कों के लिए

चंद सिक्कों के लिए
बेबसी का हुनर बिकता है ।
जिंदगी ऐसी कि हर
सांस में दम घुटता है ।।

डाॅ फौज़िया नसीम शाद

Language: Hindi
Tag: शेर
9 Likes · 218 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr fauzia Naseem shad
View all
You may also like:
Jese Doosro ko khushi dene se khushiya milti hai
Jese Doosro ko khushi dene se khushiya milti hai
shabina. Naaz
जंग अहम की
जंग अहम की
Mamta Singh Devaa
रंग रंगीली होली आई
रंग रंगीली होली आई
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
श्राद्ध- पर्व पर  सपने में  आये  बाबूजी।
श्राद्ध- पर्व पर सपने में आये बाबूजी।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
ठुकरा दो अगर दे कोई ज़िल्लत से समंदर
ठुकरा दो अगर दे कोई ज़िल्लत से समंदर
पूर्वार्थ
रात घिराकर तम घना, देती है आराम
रात घिराकर तम घना, देती है आराम
Dr Archana Gupta
"पानी की हर बूंद और जीवन का हर पल अनमोल है। दोनों को कल के ल
*प्रणय*
नये वर्ष का आगम-निर्गम
नये वर्ष का आगम-निर्गम
Ramswaroop Dinkar
हम हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान है
हम हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान है
Pratibha Pandey
माटी में है मां की ममता
माटी में है मां की ममता
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
नैनों की मधुरशाला में खो गया मैं,
नैनों की मधुरशाला में खो गया मैं,
Shambhavi Johri
माँ बाप बिना जीवन
माँ बाप बिना जीवन
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
अतीत - “टाइम मशीन
अतीत - “टाइम मशीन"
Atul "Krishn"
आइना देखा तो खुद चकरा गए।
आइना देखा तो खुद चकरा गए।
सत्य कुमार प्रेमी
कशमें मेरे नाम की।
कशमें मेरे नाम की।
Diwakar Mahto
प्रेम की नाव
प्रेम की नाव
Dr.Priya Soni Khare
फिसलती रही रेत सी यह जवानी
फिसलती रही रेत सी यह जवानी
मधुसूदन गौतम
बीते हुए दिन बचपन के
बीते हुए दिन बचपन के
Dr.Pratibha Prakash
कीमतें भी चुकाकर देख ली मैंने इज़हार-ए-इश्क़ में
कीमतें भी चुकाकर देख ली मैंने इज़हार-ए-इश्क़ में
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
प्रद्त छन्द- वासन्ती (मापनीयुक्त वर्णिक) वर्णिक मापनी- गागागा गागाल, ललल गागागा गागा। (14 वर्ण) अंकावली- 222 221, 111 222 22. पिंगल सूत्र- मगण तगण नगण मगण गुरु गुरु।
प्रद्त छन्द- वासन्ती (मापनीयुक्त वर्णिक) वर्णिक मापनी- गागागा गागाल, ललल गागागा गागा। (14 वर्ण) अंकावली- 222 221, 111 222 22. पिंगल सूत्र- मगण तगण नगण मगण गुरु गुरु।
Neelam Sharma
आदमी खरीदने लगा है आदमी को ऐसे कि-
आदमी खरीदने लगा है आदमी को ऐसे कि-
Mahendra Narayan
सच दिखाने से ना जाने क्यों कतराते हैं लोग,
सच दिखाने से ना जाने क्यों कतराते हैं लोग,
Anand Kumar
3352.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3352.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
"सम्मान व संस्कार व्यक्ति की मृत्यु के बाद भी अस्तित्व में र
डॉ कुलदीपसिंह सिसोदिया कुंदन
खूब ठहाके लगा के बन्दे
खूब ठहाके लगा के बन्दे
Akash Yadav
हर गली में ये मयकदा क्यों है
हर गली में ये मयकदा क्यों है
प्रीतम श्रावस्तवी
बंदर का खेल!
बंदर का खेल!
कविता झा ‘गीत’
इंसान इंसानियत को निगल गया है
इंसान इंसानियत को निगल गया है
Bhupendra Rawat
*खत आखरी उसका जलाना पड़ा मुझे*
*खत आखरी उसका जलाना पड़ा मुझे*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
"बाणसुर की नगरी"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...