*** चंद शेर ***
कशमकश दिल में
जुबां पे तुम्हारा नाम आया
भरी महफ़िल में
फिर से गुमनाम पैगाम आया ।।
मेरी धड़कने
क्यूं पूछती है तेरे दिल से
तेरे दिल से
मेरे दिल को पैगाम आया है।
जाम लगाया उनके नाम
तो ये कोहराम छाया है
ना जाने महफ़िल में
कौन पैगाम बेनाम आया है ।।
गुल ए गुलशन
में गुलफ़ाम आया है
महफ़िल में कौन
सरे आम आया है ।।
?मधुप बैरागी