*चंद माहिया*
1
शाम मिलन की आई
मन में है थिरकन
प्रीत की बदरा छाई
2
ये प्रीत पुरानी है
चांद तेरे संग
ताउम्र बितानी है
3
गुलजार नहीं राहें
तुम कब आओगे
सूनी है ये बाहें
4
तेरी याद सताए
आंखों का सावन
साजन तुझे बुलाए
5
पैसा सबको भाया
जग को प्रेम रतन
किसी को रास न आया
✍️ दुष्यंत कुमार पटेल