चंदू और बकरी चाँदनी
एक गाँव में एक गरीब परिवार रहता था | परिवार का मुखिया था चंदू और साथ थी उसकी घरवाली सुशीला | उनके तीन बच्चे थे | दो बेटियाँ और एक बेटा | बेटा सबसे छोटा था | बड़ी बेटी पायल , छोटी बेटी तारा और बेटा मनुज | चंदू की आया का एकमात्र साधन था उसकी बकरियां | बकरियों के दूध से होने वाली आय से ही उसके परिवार का ऊपरी खर्च निकलता था | बाकी खर्च वो अपनी और अपनी पत्नी के साथ मिलकर दैनिक मजदूरी से पूरा किया करता था | साथ ही बच्चों की पढ़ाई भी एक सरकारी स्कूल के माध्यम से |
चंदू की एक समस्या थी की वो अपनी बकरियों से दूध तो बहुत चाहता था पर उनको खाने को पूरी खुराक नहीं दिया करता था | जब कम खुराक की वजह से बकरियां कम दूध देतीं तो वह उनको मारा भी करता था | उसकी बड़ी बेटी पायल अपने पिता को ऐसा करते देख बहुत दुखी होती थी | हरा भोजन देखे तो बकरियों को महीने गुजर गए थे | यूं ही सब चलता रहा | बकरियां चाहकर भी कुछ कहने में असमर्थ थीं | इसी बीच बकरियों के परिवार में एक नए सदस्य चाँदनी बकरी का आगमन हुआ | सब बकरियां चाँदनी बकरी को देखकर बहुत खुश हुईं | बकरियों के परिवार में एक बकरी थी सन्नो | सन्नो बकरी ने सारी बातें चांदनी बकरी को बता दी कि किस तरह वो सभी नारकीय जिन्दगी जी रहे हैं और कुछ कह भी नहीं सकते |
चाँदनी बकरी को सभी बकरियों पर बहुत दया आई और उसने उन्हें इस नारकीय जीवन से मुक्त कराने का विचार किया | उसने सभी से थोड़ा सब्र रखने को कहा | धीरे – धीरे बकरी चांदनी ने चंदू की बड़ी बेटी पायल से दोस्ती कर ली और जल्द ही दोनों में घनिष्ठता बढ़ गयी | चांदनी बकरी ने सभी बकरियों की परेशानी के बारे में पायल को बताया | और कहा कि यदि वो उन सबकी मदद कर सके तो हम सब मिलकर उसके पिता को सबक भी सिखा सकते हैं और भविष्य में ज्यादा दूध देने का वादा भी करते हैं |
पायल को वैसे भी अपने पिता का बकरियों के प्रति व्यवहार अच्छा नहीं लगता था | कई बार उसने अपने पिता को बकरियों को मारने से मना करने की कोशिश भी की थी | पर कुछ हुआ नहीं | उसके पिता के व्यवहार में कोई परिवर्तन नहीं हुआ | चांदनी बकरी के आने से उसे अँधेरे में रौशनी की किरण दिखाई दी | दोनों ने योजना बना ली | रोज की तरह जब पायल के माता – पिता मजदूरी करने गए तब पायल सभी बकरियों को चराने के बहाने अपने साथ ले गयी | और पास के ही जंगल में एक सुरक्षित स्थान देखकर झाड़ियों के पीछे उन्हें छुपा दिया | जहां उन्हें किसी भी जंगली जानवर का खतरा नहीं था और वह वापस आ गयी |
शाम के समय चंदू ने अपनी बकरियों को घर पर नहीं देखा तो वह परेशान हो गया | उसने पायल से पूछा तो उसने कहा कि उसने तो उन्हें चरने के लिए छोड़ दिया था और स्कूल का जरूरी काम करने बैठ गयी थी | उसे नहीं पता कि बकरियां कहाँ गयीं | काफी कोशिश के बाद भी चंदू को बकरियों का पता नहीं मिला | दो दिन बीत गए | घर में बच्चों को पीने और ग्राहकों को देने के लिए दूध नहीं था | घर की हालत ख़राब होने लगी | इसी बीच गाँव में एक बाबाजी प्रकट हुए | और उन्होंने चंदू को चिंचित देख पूछ लिया – क्या बात है रे बच्चा ? क्या हुआ ? क्यों मुंह लटकाये बैठा है ?
चंदू ने कहा – बाबाजी मेरी बकरियां नहीं मिल रहीं | पता नहीं कहाँ चलीं गयीं |
बाबाजी ने थोड़ी देर नद्यां मुद्रा में आँखें बंद कीं और लम्बी सांस लेकर कहा – मैं देख रहा हूँ बच्चा कि तुमने अपनी बकरियों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया | इसीलिए वे सब तुम्हारे घर वापस नहीं आना चाहतीं | चंदू सन्न रह गया कि बाबाजी को कैसे पता कि उसका व्यवहार अपनी बकरियों के प्रति अच्छा नहीं था |
वह बाबाजी के पैरों पर गिरकर गिड़गिड़ाने लगा – बाबाजी मेरी बकरियां मुझे वापस मिल जाएँ मैं कसम खाता हूँ कि मैं उन्हें अपने बच्चों की तरह पालूंगा |
बाबाजी ने कहा – ठीक है | तुम वादा करते हो तो ठीक एक घंटे बाद तुम्हारी बकरियां तुम्हारे घर पहुँच जायेंगी | अब तुम दो मिनट के लिए आँखें बंद करो और प्रभु से माफ़ी मांगो | चंदू के ध्यान लगाते ही बाबाजी ने पेड़ के पीछे छिपी पायल को इशारा कर दिया कि जाओ और बकरियों को वापस ले आओ |
पायल को जिस बाबाजी ने इशारा किया था वो कोई और नहीं उसके स्कूल के रसोइया अंकल थे | जिसने पायल और बकरी चाँदनी को मदद करने का भरोसा दिया था | जब चंदू की आँख खुली तो बाबाजी गायब हो गए थे | घर पहुंचकर चंदू बकरियों का इंतज़ार करने लगा | जब दूर से पायल बिटिया को बकरियों को लाते हुए देखा तो उसकी जान में जान आई |
अब चंदू अपनी बकरियों का पहले से ज्यादा ध्यान रखने लगा | उनके खाने -पीने का भी | उसने अपने स्नेहपूर्ण व्यवहार से सभी बकरियों का मन मोह लिया | बकरियां भी खूब दूध देने लगीं | पायल ने मुस्कराकर चांदनी बकरी का अभिवादन किया | चंदू का परिवार ख़ुशी – ख़ुशी रहने लगा |