चंदा
चंदा
मुझे बताओ
अब कहां गई तुम्हारी
मदभरी चांदनी
जिसके तले
प्रेमी दिल अक्सर
मिला करते थे
संग रहने की हर पल
दुआ करते थे
वह शीतल चांदनी
कारण थी जो
प्रेम के मधुर गीतों का
प्रफुल्लित कमल तड़ागों का
कहीं ऐसा तो नहीं
कि तुम भी मेरी तरह
प्रेम की विरह अग्नि में धधक रही हो।।