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27 May 2023 · 1 min read

चंचल शोख़ हवाएँ

कभी बारिश की सोंधी खूशबू लाये
कभी वतावरण को फूलों की खूशबू से भर जाए
ये चंचल शोख़ हवाएँ.

कभी पहाड़ों से टकराये
लौट के कभी ये वापस आये
ये चंचल शोख़ हवाएँ.

कभी पेड़ों की फूनगी को झकझोरे
कभी नदी के तन को छूकर इठलाये
ये चंचल शोख़ हवाएँ.

पल में गर्मी दूर भगाये
सब के मन को भाये
ये चंचल शोख़ हवाएँ.

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