चंचल शोख़ हवाएँ
कभी बारिश की सोंधी खूशबू लाये
कभी वतावरण को फूलों की खूशबू से भर जाए
ये चंचल शोख़ हवाएँ.
कभी पहाड़ों से टकराये
लौट के कभी ये वापस आये
ये चंचल शोख़ हवाएँ.
कभी पेड़ों की फूनगी को झकझोरे
कभी नदी के तन को छूकर इठलाये
ये चंचल शोख़ हवाएँ.
पल में गर्मी दूर भगाये
सब के मन को भाये
ये चंचल शोख़ हवाएँ.