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13 Jul 2021 · 2 min read

मेरी जिज्ञासा

यात्रा का जब भी नाम आता है कहीं न कहीं सभी के मन में एक जूनून, कौतूहल, उत्सुकता सी उत्पन्न हो जाती है और जैसे ही यात्रा समाप्त होती है, थकान, नीरसता, उदासी सी छा जाती है| मेरी भी यह यात्रा कुछ ऐसी ही थी|

मेरी यह यात्रा सन् २०१२ की है| हमारे साथ कभी-कभी ऐसी घटनायें घटित होती है, जिनके बारे में हमे पता तक नहीं होता है और न ही इसके बारे में कोई आईडिया होता है| ठीक ऐसा ही मेरे साथ भी हुआ। ममला कुछ ऐसा था मन में अचानक से न जाने क्यों बरेली जाने की इच्छा उत्पन्न हुई और इत्फ़ाक की बात तो ये थी कि वह उसी महीने पूरी हो गई। अब मुझे बरेली जाने के लिए एक उद्देश्य भी मिल गया यह उद्देस्य था मेरा पेपर|

मैं अपने माँ बाप का आशीर्वाद लेकर घर से निकल पडा़, घर से मोहम्मदी और मोहम्मदी से शाहजहाँपुर अब यहाँ से बाया ट्रेन बरेली सुबह तकरीबन ११:०० पहुच गया| अब यहाँ से मुझे अपने एग्ज़ाम सेन्टर पहुचना था जो कि स्टेशन से तकरीवन १५ किलो मीटर दूर पीलीभत रोड पर था जहाँ मेरा पेपर होना था| जैसे तैसे मैं रिक्से व आटो की मदद से सेन्टर पहुचा और विधि विधान से अपना पेपर देने एग्ज़ाम हॉल में बैठ गया| पेपर शाम ५:०० बजे छूटा मैंने बिना विलम्ब किये हुए वहाँ से ऑटो पकड़ा और स्टेशन आ गया| स्टेशन आते ही देखा कि यहाँ तो बहुत भीड़ है| आखिर मामला क्या है? इतनी भीड़ होने का| मैं अपनी ट्रेन पता करने पूछ ताछ केन्द्र पहुचा तो मालूम हुआ कि ट्रेन की लाइन में कुछ तकनीकी समस्या होने के कारण सभी ट्रेनो का आवागमन २:३० घण्टे के लिए स्थगित कर दिया गया है| मुझे घर जल्दी पहुचना था इसलिए समय न बर्बाद करते हुए मैंने वहीं से फिर ऑटो पकड़ा और बस स्टेण्ड पहुंचा वहां भी वही स्थति थी जोकि स्टेशन पर थी|

अब मेरे लिए बहुत बड़ी समस्या थी क्योंकि अब तक मैं दौड़ भाग और भूख प्यास से बहुत परेसान हो चुका था| तकरीबन २:१५ घंटे बाद एक बस आई जिसमें इतनी भीड़ थी कि पैर रखने मात्र को जगह नहीं थी फिर भी घर जल्दी पहुचने की चाहत ने मुझे बस में चढ़ने के लिए बाध्य कर दिया इसलिए मैं उस बस में किसी प्रकार से चढ़ गया| बस शाहजहाँपुर के लिए रबना हुई ऐसी सर्दी और कोहरे में बस के साईकिल की गति से चलने के बाद बस कटरा में रेलवे क्रसिंग पर लगभग २:१४ घण्टे के लिए फस गई जैसे ही ट्रैफिक खुला बस आगे बढ़ी और शाहजहाँपुर आई| जहाँ से मैं बड़ी मशक्कत के बाद मोहम्मदी तक पहुचा| इसप्रकार मैंने यह पूरी यात्रा बरेली से लेकर मोहम्मदी तक सुबह के ४:४५ बजे पूरी कर पायी| इस यात्रा में मेरी पूरी रात्रि तो खाराब हुई साथ ही काफी परेशान हुआ और बीमार भी मुझे हमेशा ही यह यात्रा याद रहेगी |

धीरेन्द्र वर्मा “धीर”
मोहम्मदपुर दीना जिला-खीरी (उ0प्र0)

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