घूँघट
मर्यादा का घूँघट,मत खोल राधा प्यारी।
तेरे नैनो के दीवाने,हैं मोहन कृष्ण मुरारी।।
सजती माथे पर बिंदिया,
शत् दीप प्रज्वल्लित होते।
जब-जब छनके पायलिया,
मोहित मयूर सुध खोते।।
कल्पना है मोहन की,राधा वृषभानु दुलारी।
तेरे नैनो के दीवाने,है मोहन कृष्ण मुरारी।।
मर्यादा का घूँघट,मत खोल राधा प्यारी।
तेरे नैनो के ……
छवि रूप राशि मन मोहन,
मोहित करते मृदु बैना।
लगे चन्द्र लजाता जैसे,
घूँघट धर ओट दो नैना।।
दिन रैन राह तकते है,यमुना तट कुञ्ज बिहारी।
तेरे नैनो के दीवाने,है मोहन कृष्ण मुरारी।।
मर्यादा का घूँघट,मत खोल राधा प्यारी।
तेरे नैनो के दीवाने……
शाम्भवी मिश्रा