“घुटन”
“घुटन”
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आज स्वच्छ वायु इतना दुर्लभ हो गया ,
कि इंसान का सांस लेना भी दूभर हो गया।
शहरों में प्रदूषण का प्रकोप खूब बढ़ गया ,
बात-बात में घुटन तो जीवन का अंग बन गया।
© अजित कुमार “कर्ण” ✍️
~ किशनगंज ( बिहार )
( स्वरचित एवं मौलिक )
तिथि :- 01 / 04 / 2022.
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