इस बार मुकाबला दो झुंडों के बीच है। एक के सारे चेहरे एक मुखौ
अहं का अंकुर न फूटे,बनो चित् मय प्राण धन
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
समय को व्यर्थ नहीं गंवाना चाहिए, कुछ समय शोध में और कुछ समय
ये रहस्य, रहस्य ही रहेगा, खुलेगा भी नहीं, जिस दिन (यदि) खुल
तेरी नाराज़गियों से तुझको ठुकराने वाले मिलेंगे सारे जहां
बेटी को पंख के साथ डंक भी दो
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
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आज एक अरसे बाद मेने किया हौसला है,
आप लगाया न करो अपने होंठो पर लिपिस्टिक।
बस तेरे हुस्न के चर्चे वो सुबो कार बहुत हैं ।
शब्द अनमोल मोती
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
*छॉंव की बयार (गजल संग्रह)* *सम्पादक, डॉ मनमोहन शुक्ल व्यथित
मां की आँखों में हीरे चमकते हैं,