” माता-पिता और गुरु में फर्क “
सजदे भी हमारे, हमारा ही भजन है
तेवरी इसलिए तेवरी है [आलेख ] +रमेशराज
🥀*✍अज्ञानी की*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
तुम्हारा ज़वाब सुनने में कितना भी वक्त लगे,
कुछ चोरों ने मिलकर के अब,
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
दुनियाँ में सबने देखा अपना महान भारत।
कल आंखों मे आशाओं का पानी लेकर सभी घर को लौटे है,
वक्त के सिरहाने पर .........
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
तू गीत ग़ज़ल उन्वान प्रिय।
अब तो तमन्ना है कि, टूटे कांच सा बिखर जाऊं।
हम हमेशा सोचा करते थे कि सबके साथ अच्छा करेंगे तो हमारे साथ